छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के हरे-भरे वनों के बीच स्थित ढोलकल गणेश मंदिर, दिव्यता और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है।
यह मंदिर सदियों पुरानी परंपराओं और आस्था का जीवंत प्रमाण है, जो श्रद्धालुओं और पर्यटकों को एक आध्यात्मिक यात्रा पर आमंत्रित करता है।
दंतेवाड़ा की पर्वतीय वादियों के हृदय में बसा यह पवित्र स्थल, श्रद्धा और शांति का अद्भुत अनुभव कराता है।
3,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह गणेश प्रतिमा, घने जंगलों और पहाड़ों के बीच स्थित है, जहाँ तक पहुंचने के लिए रोमांचक ट्रैकिंग करनी पड़ती है।
जैसे-जैसे यात्री घने जंगल में आगे बढ़ते हैं, पत्तों की सरसराहट और प्रकृति की शांति वातावरण को आध्यात्मिक बना देती है। यह सफर न केवल एक भौतिक यात्रा है, बल्कि एक गहन आत्मिक अनुभव भी है।
पुरातत्वविदों के अनुसार, ढोलकल गणेश प्रतिमा का निर्माण नवम से ग्यारहवीं शताब्दी के बीच नागवंशी राजवंश के शासनकाल में हुआ माना जाता है।
यह प्रतिमा मजबूत ग्रेनाइट पत्थर से बड़ी ही बारीकी और कुशलता से निर्मित की गई है, जो उस समय की उच्च मूर्तिकला और शिल्प कौशल को दर्शाती है।
प्रतिमा की नक्काशी, गणेश जी के स्वरूप और मुद्रा में गहराई से झलकती है, जो उस कालखंड की कला परंपरा की अद्वितीय मिसाल है।
ढोलकल गणेश की यह प्रतिमा न केवल कलात्मक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि रहस्य से भी परिपूर्ण है। अब तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि इतनी ऊंचाई और निर्जन स्थल पर इस प्रतिमा को किसने और क्यों स्थापित किया।
इसके मूल उद्देश्य और स्थापना के पीछे की कहानी आज भी रहस्य बनी हुई है, जो इस स्थान को और भी आकर्षक और अद्वितीय बनाती है।
जो लोग साहसिक यात्रा, आध्यात्मिक शांति और ऐतिहासिक खोज के शौकीन हैं, उनके लिए ढोलकल गणेश मंदिर एक अनमोल गंतव्य है।
यहाँ की यात्रा शरीर और आत्मा दोनों को ऊर्जा प्रदान करती है। यह स्थल छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत और प्राचीन परंपराओं को जानने-समझने का एक दुर्लभ अवसर प्रदान करता है।
ढोलकल गणेश मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, कलात्मक उत्कृष्टता और रहस्यमयी इतिहास का अद्भुत संगम भी है।
यह स्थल उन सभी यात्रियों के लिए एक प्रेरणा है जो भारत के अनछुए कोनों को खोजने और महसूस करने की लालसा रखते हैं।
ढोलकल गणेश, पहुंचने के लिए आप जगदलपुर के मां दंतेश्वरी हवाई अड्डे के लिए उड़ान भर सकते हैं, जो दंतेवाड़ा का निकटतम हवाई अड्डा है।
दंतेवाड़ा रेलवे स्टेशन ढोलकल गणेश का निकटतम रेलवे स्टेशन है, लेकिन रायपुर, दुर्ग से नहीं जुड़ा है।
आप जगदलपुर से बाइक और टैक्सी बुक या किराए पर ले सकते हैं।
दंतेवाड़ा से ढोलकल गणेश की दूरी - 18 कि मी.
जगदलपुर से ढोलकल गणेश की दूरी - 98.6 कि मी।
रायपुर से दंतेवाड़ की दूरी - 372 कि मी.
आपको रात गुजारने के लिए कोई व्यावधान नहीं होगा आप चाहें तो जगदलपुर में या तो फिर दंतेवाड़ा में भी रुक सकते हैं, आपको दोनों जगह रूम, रिसॉर्ट, या होटल मिल जायेगा।
आपको ढोलकल गणेश में कुछ भी खाने पीने की सामग्री नहीं मिलेगी, आप दंतेवाड़ा शहर में ही सारी वस्तुएं खरीद ले.
बरसात के दिनों को छोड़कर सभी मौसम घूमने के लिए उपयुक्त हैं, इस समय पत्थर फिसलन वाले होते हैं और चोट लगने का कारण बन सकता हैं। गर्मियों में भी, यहाँ घूमने का अच्छा समय है क्योंकि घने जंगल सूरज से छाया प्रदान करते हैं, अत्यधिक गर्मी से बचाते हैं।
हाँ, आप पहाड़ की चोटी पर कैम्पिंग कर सकते हैं, या आस-पास के गाँवों में कैम्पिंग कर सकते हैं।
आप अकेले ट्रैक कर सकते हैं, लेकिन अगर आप लोग कम से कम 2 से 3 लोग मौजूद रहेंगे तो ज्यादा अच्छा है, और लाल मुंह वाले बंदर से भी सावधान रहें।
छत्तीसगढ़, भारत का हृदय स्थल, अपनी समृद्ध प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिक धरोहरों और सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है।
घने जंगलों, प्राचीन मंदिरों, जलप्रपातों और अद्भुत गुफाओं से सजा यह राज्य पर्यटकों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है।
छत्तीसगढ़ में कई खूबसूरत जलप्रपात हैं, जिनमें चित्रकूट जलप्रपात को 'भारत का नियाग्रा' कहा जाता है।
तीरथगढ़ जलप्रपात अपनी सुरम्य छटा से पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। यहाँ के कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान और अचानकमार टाइगर रिज़र्व वन्यजीव प्रेमियों के लिए आदर्श स्थल हैं।